मां कात्यायनी आरती : नवरात्रि 2023
मां कात्यायनी आरती : नवरात्रि 2023

मां कात्यायनी आरती : नवरात्रि 2023

नवरात्रि शब्द दो शब्दों “नव,” का अर्थ है नौ और “रात्रि,” का अर्थ रातों से है, इसलिए जब जोड़ा जाता है, तो यह नौ दिनों तक चलने वाले उत्सव का प्रतीक है।

नौ दिनों का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को स्वीकार करता है, अधर्म पर धर्म को पुनर्स्थापित करता है, नकारात्मकताओं को शुद्ध करता है और सकारात्मकता और पवित्रता पैदा करता है।

इन दिनों में, महिला ब्रह्मांडीय शक्ति – देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, गाया जाता है, और उनके नौ रूपों का आह्वान किया जाता है। माँ दुर्गा के प्रकट सभी रूप शक्ति, शक्ति, वीरता, ज्ञान, सौंदर्य, कृपा और शुभता के प्रतीक हैं।

नौ दिनों तक दुर्गा मां के इन नवरात्रि अवतारों की पूजा की जाती है।

नवरात्रि के छठे दिन पूजा की जाती है मां कात्यायनी की ।

मां कात्यायनी आरती : नवरात्रि 2023

मां दुर्गा के छठे स्वरूप कात्यायनी को महालक्ष्मी के रूप में भी पूजा जाता है। कात्यायनी का जन्म बैल दैत्य महिषासुर का वध करने के लिए हुआ था। उसकी परिभाषित विशेषताओं में क्रोध, प्रतिशोध और बुराइयों पर अंतिम विजय शामिल है।

जो कोई भी उसे शुद्ध हृदय और परम विश्वास के साथ याद करता है, उसे वरदान प्राप्त होते हैं। वह एक शानदार सिंह पर विराजमान हैं और उन्हें चार हाथों से चित्रित किया गया है। बाएं हाथ में तलवार और कमल और दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और वरदमुद्रा है।

खास प्रसाद : मां को शहद का भोग लगाया जाता है।

शुभ रंग : हरा रंग नई शुरुआत के साथ जुड़ा हुआ है। यह उर्वरता और विकास की भावना जगाने के लिए पहना जाता है।

प्रस्तुत है प्यारे भक्तो के लिए मां कात्यायनी की आरती। पढ़ें और प्रसन्न करें मां कात्यायनी को |

मां कात्यायनी का आशीर्वाद और कृपा आप सब पर बनी रहे|

!! जय माता दी !!

!! मां कात्यायनी आरती !!

जय कात्यायनि माँ, मैया जय कात्यायनि माँ ।

उपमा रहित भवानी, दूँ किसकी उपमा ॥
मैया जय कात्यायनि….

गिरजापति शिव का तप, असुर रम्भ कीन्हाँ ।
वर-फल जन्म रम्भ गृह, महिषासुर लीन्हाँ ॥
मैया जय कात्यायनि….

कर शशांक-शेखर तप, महिषासुर भारी ।
शासन कियो सुरन पर, बन अत्याचारी ॥
मैया जय कात्यायनि….

त्रिनयन ब्रह्म शचीपति, पहुँचे, अच्युत गृह ।
महिषासुर बध हेतू, सुर कीन्हौं आग्रह ॥
मैया जय कात्यायनि….

सुन पुकार देवन मुख, तेज हुआ मुखरित ।
जन्म लियो कात्यायनि, सुर-नर-मुनि के हित ॥
मैया जय कात्यायनि….

अश्विन कृष्ण-चौथ पर, प्रकटी भवभामिनि ।
पूजे ऋषि कात्यायन, नाम काऽऽत्यायिनि ॥
मैया जय कात्यायनि….

अश्विन शुक्ल-दशी को, महिषासुर मारा ।
नाम पड़ा रणचण्डी, मरणलोक न्यारा ॥
मैया जय कात्यायनि….

दूजे कल्प संहारा, रूप भद्रकाली ।
तीजे कल्प में दुर्गा, मारा बलशाली ॥
मैया जय कात्यायनि….

दीन्हौं पद पार्षद निज, जगतजननि माया ।
देवी सँग महिषासुर, रूप बहुत भाया ॥
मैया जय कात्यायनि….

उमा रमा ब्रह्माणी, सीता श्रीराधा ।
तुम सुर-मुनि मन-मोहनि, हरिये भव-बाधा ॥
मैया जय कात्यायनि….

जयति मङ्गला काली, आद्या भवमोचनि ।
सत्यानन्दस्वरूपणि, महिषासुर-मर्दनि ॥
मैया जय कात्यायनि….

जय-जय अग्निज्वाला, साध्वी भवप्रीता ।
करो हरण दुःख मेरे, भव्या सुपुनीता॥
मैया जय कात्यायनि….

अघहारिणि भवतारिणि, चरण-शरण दीजै ।
हृदय-निवासिनि दुर्गा, कृपा-दृष्टि कीजै ॥
मैया जय कात्यायनि….

ब्रह्मा अक्षर शिवजी, तुमको नित ध्यावै ।
करत ‘अशोक’ नीराजन, वाञ्छितफल पावै॥
मैया जय कात्यायनि….

!! मां कात्यायनी आरती !!

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी

जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा

वहा वरदाती नाम पुकारा

कई नाम है कई धाम है

यह स्थान भी तो सुखधाम है

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी

कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते

हर मंदिर में भगत हैं कहते

कत्यानी रक्षक काया की

ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली

अपना नाम जपाने वाली

बृहस्पतिवार को पूजा करिए

ध्यान कात्यायनी का धरिए

हर संकट को दूर करेगी

भंडारे भरपूर करेगी

जो भी भक्त मां को पुकारे

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

जय जगमाता, जग की महारानी।

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