Know When and Why Lohri is celebrated , what's its significance , Major attractions and Bonfire जानिए लोहड़ी के त्यौहार क्यों एवं कब मनाया जाता है और आग में क्यों डालते हैं मूंगफली और तिल?
Know When and Why Lohri is celebrated , what's its significance , Major attractions and Bonfire जानिए लोहड़ी के त्यौहार क्यों एवं कब मनाया जाता है और आग में क्यों डालते हैं मूंगफली और तिल?

जानिए लोहड़ी के त्यौहार क्यों एवं कब मनाया जाता है और आग में क्यों डालते हैं मूंगफली और तिल?

जानिए लोहड़ी के त्यौहार क्यों एवं कब मनाया जाता है और आग में क्यों डालते हैं मूंगफली और तिल?
जानिए लोहड़ी के त्यौहार क्यों एवं कब मनाया जाता है और आग में क्यों डालते हैं मूंगफली और तिल?

लोहड़ी पंजाबी और हरियाणवी लोग बहुत उल्लास से मनाते हैं. यह देश के उत्तर प्रान्त में ज्यादा मनाया जाता हैं. इन दिनों पुरे देश में पतंगों का ताता लगा रहता हैं. पुरे देश में भिन्न-भिन्न मान्यताओं के साथ इन दिनों त्यौहार का आनंद लिया जाता हैं.

जानिए कब है लोहड़ी के त्यौहार

13 जनवरी 2023

सूर्य व अग्निदेव का किया जाता है आभार

लोहड़ी का पर्व पारंपरिक तौर पर फलल की कटाई और नई फसल के बुआई से जुड़ा हुआ है। लोहड़ी की अग्नि में रवि की फसल के तौर पर तिल, रेवड़ी, मूंगफली, गुड़ आदि चीजें अर्पित की जाती हैं।

मान्यताओं के अनुसार, इस तरह सूर्य देव व अग्नि देव के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है कि उनकी कृपा से फसल अच्छी होती है और आनी वाली फसल में कोई समस्या न हो।

साथ ही यह त्योहार परिवार में आने वाले नए मेहमान जैसे नई बहू, बच्चा या फिर हर साल होने वाली फसल के स्वागत के लिए मनाया जाता है।

कब मनाया जाता है लोहड़ी के त्यौहार

लोहड़ी पौष माह की अंतिम रात को एवम मकर संक्राति की सुबह तक मनाया जाता हैं यह  प्रति वर्ष मनाया जाता हैं. इस साल 2022 में यह त्यौहार 14 जनवरी को मानाया जायेगा| त्यौहार भारत देश की शान हैं|

हर एक प्रान्त के अपने कुछ विशेष त्यौहार हैं. इन में से एक हैं लोहड़ी. लोहड़ी पंजाब प्रान्त के मुख्य त्यौहारों में से एक हैं जिन्हें पंजाबी बड़े जोरो शोरो से मनाते हैं|

लोहड़ी की धूम कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती हैं. यह समय देश के हर हिस्से में अलग- अलग नाम से त्यौहार मनाये जाते हैं जैसे मध्य भारत में मकर संक्रांति, दक्षिण भारत में पोंगल का त्यौहारएवम काईट फेस्टिवल भी देश के कई हिस्सों में मनाया जाता हैं|

मुख्यतः यह सभी त्यौहार परिवार जनों के साथ मिल जुलकर मनाये जाते हैं, जो आपसी बैर को खत्म करते हैं.

क्यों मनाया जाता है लोहड़ी के त्यौहार

पुराणों के आधार पर इसे सती के त्याग के रूप में प्रतिवर्ष याद करके मनाया जाता हैं|

कथानुसार जब प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के पति महादेव शिव का तिरस्कार किया था और अपने जामाता को यज्ञ में शामिल ना करने से उनकी पुत्री ने अपनी आपको को अग्नि में समर्पित कर दिया था|

उसी दिन को एक पश्चाताप के रूप में प्रति वर्ष लोहड़ी पर मनाया जाता हैं और इसी कारण घर की विवाहित बेटी को इस दिन तोहफे दिये जाते हैं और भोजन पर आमंत्रित कर उसका मान सम्मान किया जाता हैं| इसी ख़ुशी में श्रृंगार का सामान सभी विवाहित महिलाओ को बाँटा जाता हैं.

लोहड़ी के पीछे एक एतिहासिक कथा भी हैं जिसे दुल्ला भट्टी के नाम से जाना जाता हैं|

यह कथा अकबर के शासनकाल की हैं उन दिनों दुल्ला भट्टी पंजाब प्रान्त का सरदार था, इसे पंजाब का नायक कहा जाता था. उन दिनों संदलबार नामक एक जगह थी, जो अब पाकिस्तान का हिस्सा हैं|

वहाँ लड़कियों की बाजारी होती थी| तब दुल्ला भट्टी ने इस का विरोध किया और लड़कियों को सम्मानपूर्वक इस दुष्कर्म से बचाया और उनकी शादी करवाकर उन्हें सम्मानित जीवन दिया|

इस विजय के दिन को लोहड़ी के गीतों में गाया जाता हैं और दुल्ला भट्टी को याद किया जाता हैं.

इन्ही पौराणिक एवम एतिहासिक कारणों के चलते पंजाब प्रान्त में लोहड़ी का उत्सव उल्लास के साथ मनाया जाता हैं.

लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी

पंजाब में लोहड़ी के साथ दुल्ला भट्टी की कहानी भी जुड़ी हुई है।

इस दिन पंजाबी लोग अग्नि जलाकर परंपरागत रूप से भांगड़ा करते हैं। भांगड़ा के दौरान गीत गाते हैं और दुल्ला भट्टी की प्रशंसा गायन भी करते हैं। दरअसल दुल्ला भट्टी गरीब लोगों की मदद करता था।

एक बार उन्होंने दो अनाथ बहनों को उनके चाचा से बचाया था, जिसने उनको जमीदारों को बेच दिया था। दुल्ला भट्टी ने लोहड़ी की रात दोनों बहनों की शादी करवा दी और एक सेर शक्कर उनकी झोली में डालकर विदाई कर दी।

मान्यता है कि इस घटना के कारण भी लोग लोहड़ी का पर्व मनाते हैं।

लोहड़ी की विशेषता

  • लोहड़ी का त्यौहार सिख समूह का पावन त्यौहार है और इसे सर्दियों के मौसम में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

 

  • पंजाब प्रांत को छोड़कर भारत के अन्य राज्यों समेत विदेशों में भी सिख समुदाय इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं

 

  • लोहड़ी का पर्व श्रद्धालुओं के अंदर नई ऊर्जा का विकास करता है और साथ ही में खुशियों की भावना का भी संचार होता है अर्थात यह त्यौहार प्रमुख त्योहारों में से एक है।

 

  • इस पावन त्यौहार के दिन देश के विभिन्न राज्यों में अवकाश का प्रावधान है और इस दिन को लोग यादगार बनाते हैं।

 

  • इस पर्व के दिन लोग मक्के की रोटी और सरसों का साग बनाकर खाते हैं और यही इस त्यौहार का पारंपरिक व्यंजन है।

 

  • अलाव जलाकर चारों तरफ लोग बैठते हैं और फिर गजक, मूंगफली, रेवड़ी आदि खाकर इस त्यौहार का आनंद उठाते हैं।

 

  • इस पावन पर्व का नाम लोई के नाम से पड़ा है और यह नाम महान संत कबीर दास की पत्नी जी का था

 

  • यह त्यौहार नए साल की शुरुआत में और सर्दियों के अंत में मनाया जाता है।

 

  • इस त्यौहार के जरिए सिख समुदाय नए साल का स्वागत करते हैं और पंजाब में इसी कारण इसे और भी उत्साह पूर्ण तरीके से मनाया जाता है।

 

  • किसान भाई बहनों के लिए बियर पावन पर्वत अत्यधिक शुभ होता है और इस पर्व के बीत जाने के बाद नई फसलों का कटाई का काम शुरू किया जाता है।

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Makar Sankrati Katha 2023 || Read Makar Sankranti Katha in English and know why it is celebrated ?

When and Why Lohri is celebrated

 

 

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