Shree Krishna Chalisa श्री कृष्ण चालीसा in English and Hindi
श्री कृष्ण (संस्कृत: कृष्ण) हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। उन्हें विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है और अपने आप में सर्वोच्च देवता के रूप में भी पूजा जाता है। वह सुरक्षा, करुणा, कोमलता और प्रेम का देवता है; और भारतीय देवताओं के बीच सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से सम्मानित में से एक है.
श्री कृष्ण वसुदेव और देवकी के पुत्र थे, लेकिन जब उनके मामा कंस, मथुरा के दुष्ट राजा ने उन्हें मारने की कोशिश की, तो उन्हें यमुना नदी के पार गोकुल में ले जाया गया और ग्वाल नंद और उनकी पत्नी यशोदा द्वारा पाला गया।
बालक कृष्ण को उसकी शरारती शरारतों के लिए पूजा जाता था; उसने कई चमत्कार भी किए और राक्षसों को मार डाला। एक युवा के रूप में, चरवाहा कृष्ण एक प्रेमी के रूप में प्रसिद्ध हो गए, उनकी बांसुरी की आवाज़ ने गोपियों (ग्वालों की पत्नियों और बेटियों) को चांदनी में उनके साथ खुशी से नृत्य करने के लिए अपने घरों को छोड़ने के लिए प्रेरित किया।
उनमें से उनकी पसंदीदा सुंदर राधा थीं। लंबे समय तक, कृष्ण और उनके भाई बलराम दुष्ट कंस का वध करने के लिए मथुरा लौट आए। बाद में, राज्य को असुरक्षित पाते हुए, कृष्ण यादवों को काठियावाड़ के पश्चिमी तट पर ले गए और द्वारका (आधुनिक द्वारका, गुजरात) में अपना दरबार स्थापित किया। उन्होंने राजकुमारी रुक्मिणी से विवाह किया और अन्य पत्नियों को भी लिया।
श्री कृष्ण के कई नाम हैं। वे इस प्रकार हैं – कान्हा, माधव, केशव, श्याम, गोपीनाथ, किशोर, गौरांग, मदन मोहन, गोपाल, कन्हैया, मधुसूदन, हरि, दामोदर, मुरलीधर, गोविंदा, रसेश्वर, ब्रजेश्वर, वृंदावनेश्वर, गोलोकेश्वर, राधा रामन, राधावल्लभ, राधानाथ, राधाकांत और रधेश्वर।
|| श्री कृष्ण चालीसा ||
बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम।
अरुणअधरजनु बिम्बफल, नयनकमलअभिराम॥
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज।
जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥
जय यदुनंदन जय जगवंदन।
जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
जय नट-नागर, नाग नथइया॥
कृष्ण कन्हइया धेनु चरइया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।
आओ दीनन कष्ट निवारो॥
वंशी मधुर अधर धरि टेरौ।
होवे पूर्ण विनय यह मेरौ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो।
आज लाज भारत की राखो॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
राजित राजिव नयन विशाला।
मोर मुकुट वैजन्तीमाला॥
कुंडल श्रवण, पीत पट आछे।
कटि किंकिणी काछनी काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे।
छबि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले॥
करि पय पान, पूतनहि तार्यो।
अका बका कागासुर मार्यो॥
मधुवन जलत अगिन जब ज्वाला।
भै शीतल लखतहिं नंदलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़्यो रिसाई।
मूसर धार वारि वर्षाई॥
लगत लगत व्रज चहन बहायो।
गोवर्धन नख धारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।
मुख मंह चौदह भुवन दिखाई॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो॥
कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।
चरण चिह्न दै निर्भय कीन्हें॥
करि गोपिन संग रास विलासा।
सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहार्यो।
कंसहि केस पकड़ि दै मार्यो॥
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।
उग्रसेन कहं राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो।
मातु देवकी शोक मिटायो॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी।
लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भीमहिं तृण चीर सहारा।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥
असुर बकासुर आदिक मार्यो।
भक्तन के तब कष्ट निवार्यो॥
दीन सुदामा के दुख टार्यो।
तंदुल तीन मूंठ मुख डार्यो॥
प्रेम के साग विदुर घर मांगे।
दुर्योधन के मेवा त्यागे॥
लखी प्रेम की महिमा भारी।
ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
भारत के पारथ रथ हांके।
लिये चक्र कर नहिं बल थाके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाए।
भक्तन हृदय सुधा वर्षाए॥
मीरा थी ऐसी मतवाली।
विष पी गई बजाकर ताली॥
राना भेजा सांप पिटारी।
शालीग्राम बने बनवारी॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो।
उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करि तत्काला।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।
दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहि वसन बने नंदलाला।
बढ़े चीर भै अरि मुंह काला॥
अस अनाथ के नाथ कन्हइया।
डूबत भंवर बचावइ नइया॥
‘सुन्दरदास’ आस उर धारी।
दया दृष्टि कीजै बनवारी॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै।
बोलो कृष्ण कन्हइया की जै॥
यह चालीसा कृष्ण का, पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल, लहै पदारथ चारि॥
|| Shree Krishna Chalisa ||
Doha
Banshi shobhit kar madhur, nil jalaj tanu shyam.
Arun adhar janu bimba phal, nayan kamal abhiram.
Jai Man Mohan Madan chhavi,Krishiaachandra maharaj.Jai jai Yadunandan jag vandan. Jai Vasudev Devki nandan.
Jai Yashoda sut Nandadulare. Jai prabhu bhaktan ke rakhvare.Jai Natanagar Nag nathaiya. Krishna Kanhaiya dhenu charaiya.
Puni nakh par Prabhu Girivar dharo. Ao dinan-kasht nivaro.Banshi madhur adhar-dhari tero. Hove puran manorath mero.
Ao Harli puni makhan chakho. Aaj laj bhaktan ki rakho.
Gol kapol chibuk arunare. Mridu muskan mohini dare.
Rajit Rajiv nayan vishala. Mor mukut vaijantimala.
Kundal shravan pit pat achhe. Kati kinkini kachhani kachhe.
Nil jalaj sundar tan sohai. Chhavi lakhi sur nar muni man mohai.
Mastak tilak alak ghunghrale. Ao Shyam bansuriya vale.
Kari pai pan putanahin taryo. Aka-baka kagasur maryo.
Madhuvan jalat agin jab jvala. Bhe shital lakhatahin Nandaiala.
Jab surpati Brij chadhyo risai. Musar dhar bari barsai.
Lakhat lakhat Bnij chahat bahayo. Govardhan nakh dhari bachayo.
Lakhi Yashuda man bhram adhikai. Mukh mahan chaudah bhuvan dikhai.
Dusht Kansa ati udham machayo. Koti kamal kahan phul mangayo.
Nathi kaiiyahin ko tum linhyo. Charan chinh dai nirbhai kinhyo.
Kari gopin sang ras bilasa. Sab ki pur kari abhilasa.
Aganit maha asur sanharyo. Kansahi kesh pakadi dai maryo.
Matu pita ki bandi chhudayo. Ugrasen kahan raj dilayo.
Him se mritak chhahon sut layo. Matu Devakl shok mitayo.
Narkasur mur khal sanhari. Lae shatdash sahas kumari.
Dai Bhimahin tran chiri isara. Jarasindh rakshas kahan mara.
Asur vrikasur adik maryau. Nij bhaktan kar kasht nivaryau.
Din Sudama ke dukh taryo. Tandul tin muthi mukh daryo.
Duryodhan ke tyagyo meva. Kiyo Vidur ghar shak kaleva.
Lakhi prem tuhin mahima bhari. Naumi Shyam danan hitkari.
Bharat men parath-rath hanke. Liye chakra kar nahin bat thake.
Nij Gita ke gyan sunaye. Bhaktan hridai sudha sarsaye.
Mira aisi matvali. vish pi gayi bajakar tali.
Rana bheja saap pitari. Shaligram bane banvari.
Nij maya tum vidhihin dikhayo. Urte sanshai sakal mitayo.
Tav shatninda kari tatkala, jivan mukt bhayo shishupala.
Jabahin Draupadi ter lagai. Dinanath laj ab jai.
Turatahih basan bane Nandlala. Badhay chir bhe ari munh kala.
As anath ke nath Kanhaiya. Dubat bhanvar bachavahi naiya.
“Sundardas” Aas ur Dharri. Daya Drishti Keejay Banwari.
Nath sakai un kumati nivaro. chhamon vegi apradh hamaro.
Kholo pat ab darshan dijai. Bolo Krishna Kanhaiya ki jai.
Doha
Yah chalisa Krishna ka, path krai ur dhari,
asht siddhi nay niddhi phal, lahai padarath chari.