पढ़ें शिव चालीसा हिंदी और अंग्रेजी में
Read Shiv Chalisa in English and Hindi
शिव (संस्कृत: शिव), (रोमनीकृत: शिव), (लिट. ‘शुभ एक’ ), जिसे महादेव के नाम से भी जाना जाता है। वे ‘महान ईश्वर’ या हर,हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक है। वह शैव धर्म में सर्वोच्च प्राणी है, जो हिंदू धर्म के भीतर प्रमुख परंपराओं में से एक है।
शिव को त्रिमूर्ति के भीतर “विनाशक” के रूप में जाना जाता है, हिंदू त्रिमूर्ति जिसमें ब्रह्मा और विष्णु भी शामिल हैं। शैव परंपरा में, शिव सर्वोच्च भगवान हैं जो ब्रह्मांड का निर्माण, रक्षा और परिवर्तन करते हैं। देवी-उन्मुख शाक्त परंपरा में, सर्वोच्च देवी (देवी) को ऊर्जा और रचनात्मक शक्ति (शक्ति) और उनक का समान पूरक साथी माना जाता है। वे हिंदू धर्म की स्मार्त परंपरा की पंचायतना पूजा में पांच समकक्ष देवताओं में से एक हैं।
शिव के कई पहलू हैं, परोपकारी होने के साथ-साथ डरावने भी। परोपकारी पहलुओं में, उन्हें एक सर्वज्ञ योगी के रूप में चित्रित किया गया है जो कैलाश पर्वत पर तपस्वी जीवन जीते हैं साथ ही अपनी पत्नी पार्वती और अपने तीन बच्चों, गणेश, कार्तिकेय और अशोकसुंदरी के साथ एक गृहस्थ जीवन जीते हैं। अपने भयंकर पहलुओं में, उन्हें अक्सर राक्षसों को मारते हुए चित्रित किया जाता है। उन्हें आदियोगी के रूप में भी जाना जाता है, जिन्हें योग, ध्यान और कला के संरक्षक देवता के रूप में माना जाता है।
शिव चालीसा के नियम
शिव चालीसा पढ़ने के कोई विशेष नियम नहीं हैं लेकिन शास्त्र में यह बात कही गई है कि अगर आप इसे सोमवार के दिन पढ़ते हैं तो यह बहुत फायदेमंद होगा।
शिव चालीसा पाठ के लाभ
- शिव चालीसा का जाप करने से बीमार महिला को बीमारियों से छुटकारा पाने में हेल्प मिलती है, क्योंकि इससे आपका तनाव दूर होता है और आप बीमारी के बारे में बहुत ज्यादा नेगेटिव नहीं होती हैं।
- यह समय से पहले और दर्दनाक मौत को रोकता है।
- शिव चालीसा का पाठ करने से डर या भय से भी छुटकारा मिलता है। इसके लिए जय गणेश गिरीजा सुवन’ मंगल मूल सुजान, कहते अयोध्या दास तुम’ देउ अभय वरदान वाली लाइन पढ़ें। इस पंक्ति को शाम के समय नहीं बल्कि सुबह पढ़ें। इस प्रकार 40 दिन तक लगातार पढ़ें आपको लाभ मिलेगा।
- गर्भवती महिलाओं को शिव चालीसा से बहुत लाभ मिलता है. शिव चालीसा का पाठ (Shiv Chalisa Path) करने से गर्भवती महिलाओं के बच्चे की रक्षा होती है.
- इतना ही नहीं, स्वास्थ्य संबंधी समस्या वाला व्यक्ति अगर शिव चालीसा का पाठ करें या सुनें तो उन्हें रोगों से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं, शिव चालीसा का पाठ करने से नशे की लत और तनाव से छुटकारा मिलता है.
|| शिव चालीसा ||
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद माहि महिमा तुम गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट ते मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा । ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।
स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
|| शिव चालीसा || Shiv Chalisa||
Doha
Jai Ganesh Girija Suvan,Mangal Mul Sujan
Kahat Ayodhya Das Tum Dev Abhaya Varadan
Jai Girija Pati Dinadayala
Sada Karat Santan Pratipala
Bhala Chandrama Sohat Nike
Kanan Kundal Nagaphani Ke
Anga Gaur Shira Ganga Bahaye
Mundamala Tan Chhara Lagaye
Vastra Khala Baghambar Sohain
Chhavi Ko Dekha Naga Muni Mohain
Maina Matu Ki Havai Dulari
Vama Anga Sohat Chhavi Nyari
Kara Trishul Sohat Chhavi Bhari
Karat Sada Shatrun Chhayakari
Nandi Ganesh Sohain Tahan Kaise
Sagar Madhya Kamal Hain Jaise
Kartik Shyam Aur Ganara-U
Ya Chhavi Ko Kahi Jata Na Kau
Devan Jabahi Jaya Pukara
Tabahi Dukha Prabhu Apa Nivara
Kiya Upadrav Tarak Bhari
Devan Sab Mili Tumahi Juhari
Turata Shadanana Apa Pathayau
Lava-Ni-Mesh Mahan Mari Girayau
Apa Jalandhara Asura Sanhara
Suyash Tumhara Vidit Sansara
Tripurasur Sana Yudha Machai
Sabhi Kripakar Lina Bacha-I
Kiya Tapahin Bhagiratha Bhari
Purva Pratigya Tasu Purari
Danin Mahan Tum Sama Kou Nahin
Sevak Astuti Karat Sadahin
Veda Nam Mahima Tab Gai
Akatha Anandi Bhed Nahin Pai
Prakati Udadhi Mantan Men Jvala
Jarat Sura-Sur Bhaye Vihala
Kinha Daya Tahan Kari Sarai
Nilakantha Tab Nam Kahai
Pujan Ramchandra Jab Kinha
Jiti Ke Lanka Vibhishan Dinhi
Sahas Kamal Men Ho Rahe Dhari
Kinha Pariksha Tabahin Purari
Ek Kamal Prabhu Rakheu Joi
Kushal-Nain Pujan Chaha Soi
Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar
Bhaye Prasanna Diye-Ichchhit Var
Jai Jai Jai Anant Avinashi
Karat Kripa Sabake Ghat Vasi
Dushta Sakal Nit Mohin Satavai
Bhramat Rahe Mohin Chain Na Avai
Trahi-Trahi Main Nath Pukaro
Yahi Avasar Mohi Ana Ubaro
Lai Trishul Shatrun Ko Maro
Sankat Se Mohin Ana Ubaro
Mata Pita Bhrata Sab Hoi
Sankat Men Puchhat Nahin Koi
Svami Ek Hai Asha Tumhari
Ava Harahu Aba Sankat Bhari
Dhan Nirdhan Ko Deta Sada hi
Jo Koi Janche So Phal Pahin
Astuti Kehi Vidhi Karai Tumhari
Kshamahu Nath Aba Chuka Hamari
Shankar Ho Sankat Ke Nishan
Vighna Vinashan Mangal Karan
Yogi Yati Muni Dhyan Lagavan
Sharad Narad Shisha Navavain
Namo Namo Jai Namah Shivaya
Sura Brahmadik Par Na Paya
Jo Yah Patha Karai Man Lai
Tapar Hota Hai Shambhu Sahai
Riniyan Jo Koi Ho Adhikari
Patha Karai So Pavan Hari
Putra-hin Ichchha Kar Koi
Nischaya Shiva Prasad Tehi Hoi
Pandit Trayodashi Ko Lavai
Dhyan-Purvak Homa Karavai
Trayodashi Vrat Kare Hamesha
Tan Nahin Take Rahe Kalesha
Dhupa Dipa Naivedya Charhavai,Shankar sanmukh paath sunave
Janam Janam ke paap nasave,Anta Vasa Shivapur Men Pavai
Kahai Ayodhya Asha Tumhari, Jani Sakal Dukha Harahu Hamari
Doha
Nitya Nema kari Pratahi
Patha karau Chalis
Tum Meri Man Kamana
Purna Karahu Jagadish