Arti Kunj Bihari Ki आरती कुंज बिहारी कि in English and Hindi
श्री कृष्ण (संस्कृत: कृष्ण) हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। उन्हें विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है और अपने आप में सर्वोच्च देवता के रूप में भी पूजा जाता है। वह सुरक्षा, करुणा, कोमलता और प्रेम का देवता है; और भारतीय देवताओं के बीच सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से सम्मानित में से एक है.
श्री कृष्ण वसुदेव और देवकी के पुत्र थे, लेकिन जब उनके मामा कंस, मथुरा के दुष्ट राजा ने उन्हें मारने की कोशिश की, तो उन्हें यमुना नदी के पार गोकुल में ले जाया गया और ग्वाल नंद और उनकी पत्नी यशोदा द्वारा पाला गया।
बालक कृष्ण को उसकी शरारती शरारतों के लिए पूजा जाता था; उसने कई चमत्कार भी किए और राक्षसों को मार डाला। एक युवा के रूप में, चरवाहा कृष्ण एक प्रेमी के रूप में प्रसिद्ध हो गए, उनकी बांसुरी की आवाज़ ने गोपियों (ग्वालों की पत्नियों और बेटियों) को चांदनी में उनके साथ खुशी से नृत्य करने के लिए अपने घरों को छोड़ने के लिए प्रेरित किया।
उनमें से उनकी पसंदीदा सुंदर राधा थीं। लंबे समय तक, कृष्ण और उनके भाई बलराम दुष्ट कंस का वध करने के लिए मथुरा लौट आए। बाद में, राज्य को असुरक्षित पाते हुए, कृष्ण यादवों को काठियावाड़ के पश्चिमी तट पर ले गए और द्वारका (आधुनिक द्वारका, गुजरात) में अपना दरबार स्थापित किया। उन्होंने राजकुमारी रुक्मिणी से विवाह किया और अन्य पत्नियों को भी लिया।
श्री कृष्ण के कई नाम हैं। वे इस प्रकार हैं – कान्हा, माधव, केशव, श्याम, गोपीनाथ, किशोर, गौरांग, मदन मोहन, गोपाल, कन्हैया, मधुसूदन, हरि, दामोदर, मुरलीधर, गोविंदा, रसेश्वर, ब्रजेश्वर, वृंदावनेश्वर, गोलोकेश्वर, राधा रामन, राधावल्लभ, राधानाथ, राधाकांत और रधेश्वर।
|| आरती कुंज बिहारी कि ||
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद।।
टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
|| Arti Kunj Bihari Ki||
Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Gale Mein Baijanti Mala,Bajave Murali Madhur Bala।
Shravan Mein Kundal Jhalakala,Nand Ke Anand Nandlala।
Gagan Sam Ang Kanti Kali,Radhika Chamak Rahi Aali।
Latan Mein Thadhe Banamali;
Bhramar Si Alak, Kasturi Tilak,Chandra Si Jhalak;
Lalit Chavi Shyama Pyari Ki॥
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Kanakmay Mor Mukut Bilse,Devata Darsan Ko Tarse।
Gagan So Suman Raasi Barse;
Baje Murchang, Madhur Mridang,Gwaalin Sang;
Atual Rati Gop Kumaari Ki॥
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Jahaan Te Pragat Bhayi Ganga,Kalush Kali Haarini Shri Ganga।
Smaran Te Hot Moh Bhanga;
Basi Shiv Shish, Jataa Ke Beech,Harei Agh Keech;
Charan Chhavi Shri Banvaari Ki॥
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Chamakati Ujjawal Tat Renu,Baj Rahi Vrindavan Benu।
Chahu Disi Gopi Gwaal Dhenu;
Hansat Mridu Mand, Chandani Chandra,Katat Bhav Phand;
Ter Sun Deen Bhikhaaree Ki॥
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Aarti Kunj Bihari Ki,Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Aarti Kunj Bihari Ki,Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥